जमीन का पट्टा क्या है? और कैसे होता है, देखे पूरा नियम @ upbhulekh gov in

भारत सरकार ने देश के किसानो, मजदूरों और भूमिहीन परिवारों को खेती करने , घर बनाने और अन्य उद्देश्यों के लिए जमीन को पट्टा के रूप में दिया जाता है। जिससे गरीब और असहाय परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरती है, तथा ऐसे ही परिवारों को जमीन का पट्टा दिया जाता है। देश के किसानो, मजदूरों और भूमिहीन परिवारों को पट्टा प्राप्त होने के बाद उस जमींन  पर आवास बनाने के साथ, मत्स्य पालन, खेती, आदि जैसे भी कार्य निजी अधिकार के तौर पर कर सकते है

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यदि आप भी जमीन के पट्टा के बारे में जनना चाहते हैं तो हम इस लेख में आपको जमीन के पट्टे के बारे में हर प्रकार की छोटी बड़ी  जानकारी देंगे।

Jameen ka patta kaise hota hai

पोर्टल का नामJameen ka patta kaise hota hai
विभाग का नामभूमि अभिलेख अनुरक्षण विभाग
जानकारी आपको जमीन के पट्टे के बारे में हर प्रकार की जानकारी
लाभार्थीउत्तर प्रदेश राज्य के सभी नागरिक / भूमि मालिक

जमीन का पट्टा क्या है?

जमीन का पट्टा एक ऐसा कानून होता है, जो किसी व्यक्ति या संस्था को जमीन के उपयोग करने और उस जमीन के स्वामित्व का अधिकार देता है। यह दस्तावेज़ सरकार या जमीन के मालिक द्वारा जारी किया जाता है। जमीन का पट्टे में जमीन का उपयोग करने की शर्तें, सीमा, और कितने समय के लिए यह अधिकार दिया गया है, उस सब का विवरण होता है।

उदाहरण के लिए -यदि  सरकार किसी को 30 या 60 अथवा नियत साल के लिए खेती करने के लिए जमीन देती है, तो वह पट्टा कहलाता है। इस दस्तावेज़ यह साबित होता है कि जमीन पर कानूनी रूप से उसका हक है। पट्टा धारक को कानूनी सुरक्षा भी मिलती है और भविष्य में विवादों से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

नोट :-  हम दुसरे सब्दो में समझे तो पट्टा वाला जमीन को मुख्य रूप से किराए का जमीन मान सकते हैं, और यह एक निश्चित समय के लिए मान्य होता है।

संक्रमयी भूमि और असंक्रमयी भूमि क्या है?

1 . संक्रमयी भूमि (Transferable Land):

                                                            संक्रमयी भूमि वह भूमि होती है  जिसे हम कानूनी रूप से बेचा, खरीदा, या किसी अन्य व्यक्ति को ट्रान्सफर  किया जा सकता है। इस प्रकार की भूमि के मालिक को पूर्ण अधिकार होता है 

2 . असंक्रमणीय भूमि (Non-transferable Land): –

                                                             असंक्रमयी भूमि वह भूमि होती है जिसे कानूनी रूप से बेचा या किसी अन्य व्यक्ति को ट्रान्सफर नहीं किया जा सकता। इस प्रकार की भूमि पर कुछ प्रतिबंध होते हैं असंक्रमयी भूमि वह भूमि होती है जिसमे  सरकारी भूमि, अनुसूचित जाति/जनजाति की भूमि, वक्फ भूमि, और ऐसी भूमि शामिल हो सकती है, यह भूमि को किसी विशेष उद्देश्य के लिए आरक्षित किया गया हो। इस प्रकार की भूमि का स्वामित्व और उपयोग केवल वही व्यक्ति या संगठन कर सकता है, जिसे  यह भूमि सौंपा गया है,

क्या पट्टे वाली जमीन की रजिस्ट्री हो सकती है?

पट्टे वाली जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है यदि पट्टा एक निश्चित अवधि के लिए है, और पट्टेदार को पट्टे की अवधि के समाप्त होने पर भूमि को खरीदने का विकल्प नहीं दिया गया है, तो उस पट्टे की जमीन की रजिस्ट्री संभव नहीं है।

पट्टे वाली जमीन को बेचने के लिए, आपको पहले पट्टे की अवधि के समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी होगी।

किसी भी जमीन का पट्टा कैसे प्राप्त करें?

यदि आप भी जमीन के पट्टे प्राप्त करना चाहते है तो आपको निम्न शर्तो करना होगा इसके लिए निम्नलिखित सामान्य प्रक्रियाएं होती हैं –

  • आवेदन जमा करना: आपको सबसे पहले अपने ग्राम प्रधान और संबंधित सरकारी विभाग या प्राधिकरण के पास आवेदन करना होता है। इसमें आपको अपनी जरूरत के अनुसार ही पट्टे के लिए आवेदन करना होता है, जैसे कृषि भूमि के लिए , आवासीय, या वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए।
  • दस्तावेज़ सत्यापन: आपको आवेदन करने के  साथ कुछ आवश्यक दस्तावेज़, जैसे की आधार कार्ड, पहचान पत्र, निवास प्रमाण, और उस भूमि का उपयोगका नक़ल जमा करने होते हैं। सभी दस्तावेज तैयार होने के बाद  संबंधित विभाग आपके आवेदन और दस्तावेज़ों की जांच करता है।
  • जांच और निरीक्षण: सभी दस्तावेज तैयार होने के बाद  संबंधित विभाग आपके आवेदन के  दस्तावेज़ों की जांच और निरीक्षण किया जाता है। इसके  बाद यह  सुनिश्चित किया जाता है कि आप जिस जमीन का पट्टा करवाना चाहते है वह भूमि सरकारी नियमों के तहत उपलब्ध है और आपका ने  आवेदन किया है वह अनुरूप है।
  • फीस का भुगतान: पट्टा प्राप्त करने के लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होता है। शुल्क की राशि जमीन के प्रकार और पट्टे की अवधि पर निर्भर करती है।

पट्टे निम्न प्रकार की जमीनों के लिए मिलते हैं:

  • कृषि भूमि: खेती के लिए।
  • आवासीय भूमि: घर बनाने के लिए।
  • वाणिज्यिक भूमि: व्यापार और दुकान के लिए।
  • विकास परियोजनाओं: पार्क, खेल परिसर आदि के लिए।
  • औद्योगिक भूमि: फैक्ट्री और उत्पादन के लिए।
  • सरकारी भूमि: सरकारी योजनाओं के लिए।
  • सामाजिक/संस्थागत भूमि: स्कूल, धार्मिकस्थल ,अस्पताल के लिए।

यह सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद, संबंधित विभाग द्वारा जांच करके आपको जमीन का पट्टा जारी कर दिया  जाता है। यह दस्तावेज़ को जमीन के उपयोग या स्वामित्व का अधिकार प्रदान करता है।

भूमि पट्टा अधिनियम

पट्टा लगभग सभी राज्यों में दिया जाता है और इसके लिए सभी राज्य सरकार ने अपने कुछ नियम बनाए हैं। यह पट्टा  भूमिहीन ,खेतिहर गरीब परिवार  कृषि उत्पान बढ़ाने में मदद करना है, जिससे सम्बंधित सभी प्रक्रिया निचे बिस्तार से बताई गई हैं-

  • आवास पट्टा: यह  पट्टा को आवास बनवाने के लिए दिया जाता है, इसमे आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि 3 वर्ष के अंदर कम से कम घर बना लेना चाहिए. नहीं तो आवास पट्टा ख़ारिज भी हो जाता है ।
  • कृषि पट्टा: इस कृषि पट्टा को  कृषि करने करने के लिए दिया जाता है  उत्तर प्रदेश राज्य में कृषि पट्टा लिए के लिए 1.26 Hector यानी की चार बीघा से कम जमीन होना चाहिए यदि किसी ब्यक्ति के पास 1.26 Hector यानी की चार बीघा आधिक भूमि है उस व्यक्ति को  कृषि पट्टा नहीं मिल सकता है 

जमीन के पट्टे कितने प्रकार के होते हैं?

सरकार को जमीन का  पट्टा देने के तीन उद्देश्य होता हैं। सबसे पहले, सरकार कृषि और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए जमीन के पट्टे देती है। वर्तमान में सरकार औद्योगिक उद्देश्यों के लिए सबसे अधिक जमीन देती है।  यहां कुछ मुख्य प्रकार के पट्टों का विवरण दिया गया है –

लीज होल्ड पट्टा (Leasehold):

  • इस प्रकार के पट्टे में जमीन का स्वामित्व सरकार या किसी अन्य मालिक के पास होता है, लेकिन इस जमीन का उपयोग एक नियत अवधि के लिए किराए पर दिया जाता है। पट्टा धारक इस नियत अवधि के अंदर ही जमीन का उपयोग कर सकता है, फिर भी  स्वामित्व उसके पास नहीं होता। जैसे, पट्टा 30 साल, 50 साल, या 99 साल के लिए दिया जा सकता है।

फ्रीहोल्ड पट्टा (Freehold):

  • इस प्रकार के पट्टे में जमीन का पूर्ण स्वामित्व पट्टाधारक के पास ही रहता है।  वह ही जमीन का मालिक होता है इस प्रकार के पट्टे को  बेचने, ट्रांसफर करने, या उसे अपनी इच्छा के अनुसार उपयोग करने का पूरा अधिकार है। यह फ्रीहोल्ड पट्टा स्थायी होता है और इसमें कोई समय सीमा नहीं होता है ।

लैंड ग्रांट (Land Grant):

  • इस प्रकार के  सरकार द्वारा जमीन का एक हिस्सा किसी व्यक्ति या संस्था को मुफ्त या कम मूल्य दर पर पट्टा दिया जाता है। इस भूमि को अक्सर विशेष उद्देश्यों, जैसे कि खेती, आवास, या वाणिज्यिक विकास के लिए दिया जाता है।

इंफॉर्मल या वर्बल पट्टा (Informal or Verbal Lease):

  • इस प्रकार का पट्टा मौखिक रूप से दिया जाता है  इसका कोई लिखित दस्तावेज नहीं होता है । हालांकि, यह कानूनी रूप से मान्य नहीं होता है 

अग्रेमेंट टू लीज (Agreement to Lease):

  • स प्रकार के भूमि पर प्रारंभिक समझौता होता है, इसमे  पट्टाधारक और मालिक के बीच लीज की सभी  शर्तें तय की जाती हैं। इसके बाद पूर्ण पट्टा (लीज डीड) तैयार किया जाता है। यह एक अस्थायी समझौता होता है 

रिवाइज्ड पट्टा (Renewable Lease):

  • इस प्रकार के पट्टे में जमीन का उपयोग एक निश्चित अवधि के लिए कर दिया जाता है, और इस अवधि के समाप्त होने के बाद पट्टे को फिर से नवीनीकृत किया जा सकता है। 

ये विभिन्न प्रकार के पट्टे जमीन के उपयोग और स्वामित्व के आधार पर भिन्न हो सकते  हैं, और उनका कानूनी नियम  भी अलग-अलग होता है।

पट्टे की जमीन क्या बेच या खरीद सकते हैं?

पट्टे वाली जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है यदि पट्टा एक निश्चित अवधि के लिए है, और पट्टेदार को पट्टे की अवधि के समाप्त होने पर भूमि को खरीदने का विकल्प नहीं दिया गया है, तो उस पट्टे की जमीन की रजिस्ट्री संभव नहीं है।

 कोई व्यक्ति सरकारी जमीन पर मालिकाना हक नहीं रख सकता है। वह सिर्फ उस जमीन को एक निश्चित अवधि के लिए उपयोग कर सकता है, उसे जामीन पर जब सरकार को  आवश्यकता पड़ेगी, उसे सौंपना होगा। इसलिए इस जमीन की खरीद और बिक्री नहीं हो सकती। भारत का संविधान में भी पट्टा वाली जमीन खरीदने या बेचने को गैरकानूनी मानता है।

किस प्रकार की जमीन के लिए पट्टे मिलते हैं?

पट्टे निम्न प्रकार की जमीनों के लिए मिलते हैं:

  • कृषि भूमि: खेती के लिए।
  • आवासीय भूमि: घर बनाने के लिए।
  • वाणिज्यिक भूमि: व्यापार और दुकान के लिए।
  • विकास परियोजनाओं: पार्क, खेल परिसर आदि के लिए।
  • औद्योगिक भूमि: फैक्ट्री और उत्पादन के लिए।
  • सरकारी भूमि: सरकारी योजनाओं के लिए।
  • सामाजिक/संस्थागत भूमि: स्कूल, धार्मिकस्थल ,अस्पताल के लिए।

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार आपको जमीन देने का क्या उद्देश्य है। उस जमीन को सिर्फ उसी प्रयोजन के लिए प्रयोग करना चाहिए। मान लीजिए आपको सरकार ने दो एकड़ जमीन कृषि के लिए दी है, तो आपको सिर्फ कृषि कार्य करना होगा। अगर आपने उस जमीन पर घर या कॉलोनी बनाने का काम किया है, तो सरकार आपसे वह जमीन फिर से छीन सकती है।

Jameen ka patta FAQs

प्रश्न :- उत्तर प्रदेश में सरकारी जमीन का पट्टा बनवाने के लिए ऑफिसियल वेबसाइट क्या है?

उत्तर :-  उत्तर प्रदेश राज्य के नागरिक अपनी जमीन का पट्टा बनवाने के लिए ऑफिसियल वेबसाइट upbhulekh.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

प्रश्न :-उत्तर प्रदेश में सरकारी जमीन का पट्टा कैसे बनाये?

उत्तर :- उत्तर प्रदेश में सरकारी जमीन का पट्टा आवेदन के लिए upbhulekh.gov.in को ओपन करें, इसके बाद आपको ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करके लॉग इन कर ले । उसमे उपलब्ध सर्विस में से हैसियत प्रमाण-पत्र हेतु आवेदन विकल्प पर क्लिक कर दे । फिर इसके बाद आवश्यक विवरणों को दर्ज करके  सेव बटन पर क्लिक कर देना होगा  पट्टे के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद आपको आवेदन की पावती का प्रिंट निकाल लेना है। इसके बाद मूल दस्तावेज लेकर राजस्व विभाग कार्यालय में जाना है। वहां के अधिकारियों द्वारा आपके सभी दस्तावेजों की जाँच की जायेगी। सब कुछ सही पाए जाने पर आपको पट्टा प्रदान किया जाएगा।

प्रश्न :-जमीन का पट्टा कितने साल का होता है?

उत्तर :- जमीन का पट्टा संहिता के अनुसार केवल  5 या 10 साल के लिए जमीन का पट्टा होता है. समिति के प्रस्ताव के अनुसार जमीन पट्टे के अवधि को घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है.

प्रश्न :- क्या पट्टे की जमीन की रजिस्ट्री हो सकती है?

उत्तर :- हाँ, इसके लिए सरकार द्वारा कुछ नियम एवं शर्तें पहले से  निर्धारित की गई होती है. पट्टे की रजिस्ट्री कराने के लिए व्यक्ति उस जमीन की सरकारी  शुल्क देनी पड़ेगी तथा इसके लिए पात्रता मापदंड को पूरा करना पड़ेगा.

प्रश्न :- पट्टे की जमीन क्या होता है?

उत्तर :- पट्टा का मतलब आप जिस भी  जमीन पर रहते है, उस जमीन का मालिकाना हक़ कुछ नियत समय ले लिए दिया जाता है. 

प्रश्न :- पट्टे वाली जमीन क्या होती है?

उत्तर :- पट्टे वाली जमीन पर केवल सरकार की होती है. इस प्रकार के जमीन जिसे मिलता है, वह मालिक नहीं है. वो व्यक्ति ना तो उस जमीन को बेच सकता है और ना ही किसी ओर के नाम पर ट्रांसफर कर सकता है. पट्टे वाली जमीन कुछ समय के लिए दिया जाता है, जिसे समय के अनुसार वापस भी ले लिया जाता है.